इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय करदाता को पक्का कर लेना चाहिए कि उसने सभी आय का जिक्र इसमें कर दिया है। आयकर विभाग को नियोक्ता के वेतन प्रमाण पत्र (फॉर्म-16) के अलावा अन्य स्रोतों से भी करदाताओं को हुई आय की पूरी जानकारी होती है। बैंकों व वित्तीय संस्थाओं के ‘एनुअल इंफॉर्मेशन रिटर्न’ और ‘स्पेसिफाइड फाइनेंशियल रिटर्न’ इनमें शामिल हैं। इसलिए यदि आप आय का कोई स्रोत छुपाते हैं तो पूरी आशंका है कि कामयाबी न मिले और आयकर विभाग के नोटिस का सामना करना पड़ जाए।
दरअसल आयकर विभाग को हर करदाता के हर बड़े लेनदेन से जुड़ी ज्यादातर जानकारी रहती है। जैसे ही करदाता आय से जुड़े विवरण मुहैया कराता है, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का पोर्टल उन सारी जानकारियों का मिलान विभाग के पास उपलब्ध सूचनाओं से करता है। CA अभय शर्मा के अनुसार यदि इसमें कोई अंतर पाया जाता है तो विभाग नोटिस जारी करके पूछताछ कर सकता है।
आयकर विभाग के पास होती हैं ये जानकारियां
1. बैंक या पोस्ट ऑफिस बचत खाते में एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपए या अधिक की नकद जमा।
2. क्रेडिट कार्ड का बिल पेमेंट:
- एक वित्त वर्ष में 2 लाख रुपए या अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट।
- एक वित्त वर्ष में 1 लाख या अधिक का कैश में क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट।
3. एक वित्त वर्ष में 2 लाख रुपए या अधिक का म्यूचुअल फंड में निवेश।
4. एक वित्त वर्ष में 5 लाख या अधिक का बॉन्ड या डिबेंचर में निवेश।
5. 1 लाख रुपए या अधिक का शेयर-आईपीओ में किया गया निवेश।
6. 30 लाख रुपए या इससे अधिक मूल्य की स्थायी संपत्ति की खरीदारी।
7. लिस्टेड सिक्युरिटीज या म्यूचुअल फंड बेचने से हुई पूंजीगत आय।
8. कंपनियों से मिले डिविडेंड से आय।
9. बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाओं में जमा रकम पर ब्याज से आय।
10. एक वित्त वर्ष में 10 लाख या अधिक की विदेशी मुद्रा की खरीद।
11. 2 लाख रुपए से ज्यादा की किसी वस्तु की नकद खरीदारी।
12. एक वित्त वर्ष में 10 लाख या अधिक के कैश में लिए गए बैंक डिमांड ड्राफ्ट/पे ऑर्डर/बैंकर्स चेक।
आईटीआर फाइल करने से पहले इनका भी रखें ध्यान
1. फॉर्म 26 एएस में दर्शाई गई सारी इनकम रिटर्न में शो कर दी गई है।
2. टीडीएस सर्टिफिकेट्स और फॉर्म 26 एएस के टीडीएस फिगर का मिलान कर लिया गया है।
3. प्रॉपर्टी, ज्वैलरी, पेंटिंग्स आदि बेचने से हुए कैपिटल गेन्स का जिक्र कर दिया गया है।
4. वित्त वर्ष में जो एलिजिबल इन्वेस्टमेंट किए गए हैं, उनकी पूरी छूट ले ली गई है।
5. डिविडेंड इनकम अब टैक्सेबल है। ऐसी आय अदर सोर्सेस इनकम में शो कर दी गई है।
6. एक्सम्पट इनकम यानी टैक्स-फ्री आय की जनकारी दे दी गई है।
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